
प्रस्तावना
मानव मन की थाह लेना बहुत मुश्किल काम है क्योंकि यह बेहद जटिल होता है। कभी खुशियों के पंख लगाकर सातवें आसमान पर सवार हो जाता है तो कभी उदासी की गहरी खाइयां मन को अपने भीतर खींच लेती हैं। जीवन में कभी खुशी और कभी ग़म का अनुभव करना एक सामान्य बात है लेकिन जब भावनाओं का यह उतार चढ़ाव बहुत अधिक असामान्य रूप ले ले तो यह केवल बदला हुआ ‘मूड’ भर नहीं रह जाता, बल्कि यह एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है और इस समस्या को मनोचिकित्सा की भाषा में बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) कहा जाता है।
इस लेख का उद्देश्य इसी मानसिक विकार को समझने पर केंद्रित है। यहां हम समझने का प्रयास करेंगे कि यह रहस्यमय बीमारी बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) आखिर होती क्या है, इसके क्या लक्षण (Symptoms) होते हैं, यह कितने प्रकार का होता है, यह बीमारी किस– किस को अपनी चपेट में ले सकती है, क्या इसका इलाज संभव है और कौन –कौन ऐसी प्रसिद्ध हस्तियां हैं जिन्होंने इस बीमारी के साथ जीते हुए अपने कैरियर में ऊंचाइयों को छुआ है।
बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) क्या है?
बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) एक मानसिक रोग है। कुछ समय पहले इसे मैनिक-डिप्रेसिव इलनेस कहा जाता था। इसमें व्यक्ति का मूड,उसकी एनर्जी का स्तर, सोचने का तरीका और व्यवहार असामान्य रूप से बदलता रहता है। इसमें व्यक्ति अत्यधिक उत्साहित (मैनिक) या अत्यधिक उदास (डिप्रेसिव) स्थिति में आ सकता है।
यह बीमारी किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है, लेकिन आमतौर पर किशोरावस्था के उत्तरार्ध यानि के 17-18 साल की उम्र से लेकर 25 साल की उम्र तक इसके लक्षणों के संकेत मिलने शुरू हो जाते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण: कैसे पहचाने संकेतों को ?
बाइपोलर डिसऑर्डर में मैनिक अवस्था के लक्षण (Overactive/High Phase):
- बहुत ज्यादा एनर्जी से भरा हुआ होना या किसी बात को लेकर अति–उत्साही (Over excited) होना
- तीन .चार घंटे सोना या बिलकुल भी ना सोना लेकिन इसके बावजूद एकदम तरोताज़ा महसूस करना
- अपने सामान्य स्वभाव के विपरीत व्यक्ति का बहुत तेज़ बोलना, लगातार आइडियाज आना
- अत्यधिक आत्मविश्वास (over confident) (कभी-कभी भ्रम की हद तक)
- गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार जैसे अत्यधिक खर्च, जोखिम भरे निर्णय लेना
- चिड़चिड़ापन या आक्रामकता
- किसी भी असामान्य चीज को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा, फिर चाहे उस पर कितना भी पैसा और ऊर्जा क्यों न खर्च करनी पड़े
बाइपोलर डिसऑर्डर में डिप्रेसिव या अवसाद (Depression) अवस्था के लक्षण (Low Phase):
- निराशा, उदासी और खालीपन का भाव
- थकान, सुस्ती और ऊर्जा की कमी
- नींद की कमी या अत्यधिक नींद
निश्चिंत दिनचर्या का न होना
- भूख में कमी या बहुत अधिक भूख लगना
- आत्महत्या के विचार
- किसी भी चीज़ में रुचि न होना
परिजनों से अलग थलग रहना, अपने में कैद हो जाना
अंधेरे कमरे में बैठना, सेहत के लिए नुकसानदेह खाद्य पदार्थों का सेवन करना
जीवन को अर्थहीन समझना
मैनिया (Mania) और डिप्रेशन (Depression)के बीच की स्थिति :
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो एक ही समय में मैनिक और डिप्रेसिव लक्षण महसूस करते हैं — जैसे एनर्जी तो बहुत है, लेकिन मूड बहुत खराब।
बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के प्रकार
1. बाइपोलर-I डिसऑर्डर (Bipolar Disorder -I)
- इसमें व्यक्ति को कम से कम एक मैनिक एपिसोड होता है, जो एक सप्ताह या उससे अधिक चलता है।
- इसके साथ डिप्रेसिव एपिसोड भी हो सकते हैं।
- यह सबसे गंभीर और सबसे आसानी से समझ में आने वाला प्रकार है।
2. बाइपोलर-II डिसऑर्डर (Bipolar Disorder –II )
- इसमें व्यक्ति को कम तीव्र मैनिक फेज, जिसे हाइपोमैनिया (Hypomania) कहते हैं, होता है, और गंभीर डिप्रेशन होता है।
- यह कम नाटकीय होता है लेकिन डिप्रेशन ज़्यादा गहरा हो सकता है।
3. साइक्लोथाइमिया (Cyclothymic Disorder)
- इसमें मैनिक और डिप्रेसिव लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन लंबे समय तक रहते हैं (कम से कम दो साल)।
- यह एक प्रकार का “क्रॉनिक मूड स्विंग” है।
4. अन्य विशिष्ट बाइपोलर विकार
- जिसके लक्षण उपरोक्त किसी श्रेणी में पूरी तरह फिट नहीं होते लेकिन ये सभी लक्षण मौजूद होते हैं, उसे विशेष प्रकार का Bipolar कहा जाता है।
क्यों होता है बाइपोलर डिसऑर्डर ?
1. जेनेटिक फैक्टर (अनुवांशिकता):
यदि आपके माता-पिता या भाई-बहन, चाचा, बुआ, नानी नाना, मामा आदि में से किसी को यह रोग है, तो इस बात की आशंका अधिक है कि आपको भी यह बीमारी अपनी चपेट में ले ले।
2. ब्रेन केमिस्ट्री में असंतुलन:
डोपामिन, (Dopamine), सेरोटोनिन (Serotonin)और नॉरएड्रेनालिन (Noradrenaline) जैसे न्यूरोट्रांसमीटर्स (Neurotransmitters) के असंतुलन से यह रोग उत्पन्न हो सकता है।
3. जीवन की घटनाएं (ट्रिगर):
- बचपन का कोई भयानक या दुखद अनुभव
- किसी करीबी की मृत्यु
- किसी अति प्रिय रिश्ते का टूटना
- अत्यधिक तनाव
क्या बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) का इलाज संभव है?
हाँ, बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज संभव है, लेकिन डायबिटीज़ (Diabetes) या हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) की तरह व्यक्ति को जीवनभर इसके लिए दवाएं खानी पड़ सकती हैं, समय –समय पर अपने मनोचिकित्सक के संपर्क में रहना पड़ता है। एक प्रकार से कहें तो आपको जीवन पर्यंत इसके साथ रहने के तौर तरीके सीखने पड़ सकते हैं। यहां यह समझना भी जरूरी है कि (Bipolar Disorder) के सभी मरीजों को जीवन भर दवाइयां नहीं खानी पड़ती। यह मरीज की बीमारी के प्रकार, उसकी तीव्रता पर निर्भर करता है कि उसे कितने समय तक दवाइयां खानी पड़ेंगी।
1. दवाएं (Medication):
- मूड स्टेबलाइजर्स (जैसे लिथियम)
- एंटीडिप्रेसेंट्स
- एंटीसाइकोटिक दवाएं
- विशेष बात : दवाओं का संयोजन और डॉक्टर की सलाह ज़रूरी है।
2. मनोचिकित्सा (Psychotherapy):
- सीबीटी (Cognitive Behavioural Therapy)
- फैमिली थैरेपी
- रोगी और परिवार को इस बीमारी के बारे में शिक्षित करना (Psychoeducation )
दवा और थैरेपी की अवधि :
Bipolar Disorder से संघर्ष कर रहे व्यक्ति और उसके परिजनों या उसकी देखभाल करने वाले व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं की खुराक या डोज को कम ज्यादा न करें। डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का सेवन बंद न करें। दवा लेना अचानक से बंद न करें क्योंकि इससे विदड्राल सिम्प्टम की समस्या पैदा हो सकती है, जिसमें अत्याधिक उत्तेजना, सिरदर्द, मतिभ्रम, ध्यान केंद्रित न हो पाना, डिप्रेशन की गंभीर स्थिति पैदा होना आदि शामिल हैं।
इलाज के दौरान धैर्य बनाए रखें :
बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के लिए आप जिस भी मनोरोग विशेषज्ञ (Psychiatrist) से अपना इलाज करा रहे हैं, उन पर भरोसा रखें। किसी भी मानसिक बीमारी को ठीक से समझने में कई बार लंबा समय लग जाता है। मानसिक बीमारियों जैसे कि सित्जोफ्रेनिया,(Schizophrenia), बाइपोलर डिसऑर्डर ( Bipolar Disorder), डिप्रेशन (Depression), आदि के लक्षण आपस में बहुत मिलते जुलते हैं। इसलिए सही निदान या इलाज ढूंढने में कई बार चार पांच साल भी लग सकते हैं। ऐसे में अपने डॉक्टर पर भरोसा रखें और धैर्य से काम लें। बहुत जल्दी जल्दी डॉक्टर बदलने से मरीज के साथ ही उसकी देखभाल करने वालों और परिवार के लोगों को भी आर्थिक और शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
3. जीवनशैली में बदलाव:
अपने रोजमर्रा की दिनचर्या में बदलाव करके भी आप इस बीमारी के साथ बेहतर तरीके से जीना सीख सकते हैं। इसके लिए आपको बहुत ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती है। आपको केवल कुछ बातों का ध्यान रखना है, जैसे :
- नियमित नींद
- संतुलित आहार
- योग और ध्यान
- व्यायाम
- अल्कोहल और नशे से दूरी
👥 कुछ प्रसिद्ध शख्सियतें जिन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर था
- विन्सेंट वैन गॉग — विश्व प्रसिद्ध महान चित्रकार जिनके चित्रों में भावनात्मक तीव्रता साफ झलकती है।
- कैथरीन ज़ेटा-जोन्स (Catherine Zeta-Jones)— हॉलीवुड अभिनेत्री ने खुलकर अपनी बाइपोलर-II (Bipolar Disorder–II) स्थिति के बारे में बताया।
- डेमी लोवाटो (Demi Lovato)— सिंगर और एक्टर जिन्होंने बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder)के साथ जीने के अपने अनुभव साझा किए हैं।
- रसल ब्रांड (Russell Brand) – ब्रिटिश कॉमेडियन, एक्टर और एक्टिविस्ट जो अपने अभिनय और लेखन में इस बीमारी के बारे में खुलकर बात करते रहे हैं।
- विंस्टन चर्चिल (Winston Churchill) – दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल ने 43 किताबें लिखीं, द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन को जीत दिलायी और उन्हें 1953 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- यो यो हनी सिंह (Yo Yo Honey Singh) –एक भारतीय संगीत निर्माता, रैपर, गायक, गीतकार जिन्होंने हाल ही में Bipolar Disorder बीमारी का इलाज कराने के बाद फिर से संगीत की दुनिया में वापसी की है
🧭 बाइपोलर डिसऑर्डर के साथ: कैसे जिएं सामान्य जीवन
✔️ स्वीकार करना (Acceptance):
यह जानना कि यह कोई कमजोरी नहीं है — यह एक मेडिकल स्थिति है।
✔️ रूटीन बनाना:
हर दिन का एक निर्धारित समय रखें — खाने, सोने, उठने और दवा लेने का।
✔️ सपोर्ट सिस्टम बनाना:
परिवार, दोस्त या सपोर्ट ग्रुप के साथ नियमित संवाद बनाए रखें।
✔️ ट्रिगर्स पहचानें:
कौन-सी चीजें मैनिक या डिप्रेसिव एपिसोड को बढ़ाती हैं, यह पहचानें और उनसे बचें।
✔️ जर्नलिंग करें:
अपने मूड, विचार और अनुभव लिखें। यह आत्मनिरीक्षण में मदद करता है।
✔️ संकोच न करें, मदद लें:
काउंसलर या साइकियाट्रिस्ट से मिलना कमजोरी नहीं, हिम्मत है।
कुछ खास और रोचक तथ्य (Interesting Facts):
- बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीजों में क्रिएटिविटी का स्तर सामान्य से ज़्यादा देखा गया है।
- WHO के अनुसार, विश्व की लगभग 45 मिलियन आबादी बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित है।
- यह पुरुषों और महिलाओं — दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है।
- सही उपचार और सपोर्ट से व्यक्ति पूरी तरह कामकाजी और खुशहाल जीवन जी सकता है।
और अंत में : मन को समझना, सहारा देना
बाइपोलर डिसऑर्डर कोई “पागलपन” नहीं है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसका इलाज संभव है, इसके साथ आराम से जिंदगी को जिया जा सकता है और सबसे ज़रूरी बात – इससे शर्मिंदा होने या इसे अपने जीवन का कोई रहस्यमय रोग समझने की जरूरत बिलकुल नहीं है।
हर इंसान की मन की गहराइयां अलग अलग होती हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोग अक्सर बहुत अधिक संवेदनशील, गहराई से सोचने वाले, सच्चे, ईमानदार और भावनाओं से भरपूर होते हैं। उन्हें ज़रूरत होती है — समर्थन की, समझ की और स्वीकार्यता की।
अगर आप या आपके आस-पास कोई इस स्थिति से जूझ रहा है, तो याद रखें:
“यह रास्ता कठिन हो सकता है, लेकिन आप अकेले नहीं हैं।”